1920 में मुंबई के लोअर परेल में गहागन पेंट्स एंड वार्निश अस्तित्व में आया। आज एक सदी बाद, यह कंपनी भारत की दूसरी सबसे बड़ी पेंट कंपनी होने के साथ-साथ उद्योग जगत के सबसे भरोसेमंद नामों में से एक है।
तो एक छोटी सी पेंट कंपनी से कंसाई नेरोलैक जैसे बड़े नाम तक पहुंचने के लिए क्या चाहिए?
इसके लिए मेहनत और जुनून चाहिए। प्रतिबद्धता और साहस चाहिए। इसके लिए बिना डरे नए प्रयोगों के साथ आगे बढ़ने की हिम्मत चाहिए। हर रोज़ नए जोखिम उठाने का दृढ़ संकल्प चाहिए, उनके सफ़ल होने पर जश्न मनाने की चाहत और असफल होने पर ड्रॉइंग बोर्ड उठाकर नए सिरे से काम पर लग जाने की ज़िद चाहिए। इसके लिए अपने काम और नए प्रयोगों के लिए डटे रहकर भी ग्राहकों की हर ज़रूरत के मुताबिक ढल जाने की आदत चाहिए। इसके लिए बेहतर शोध एवं विकास के साथ उन्नत तकनीक और समर्पित कर्मचारियों के समूह में निवेश चाहिए। लेकिन इसके लिए सबसे पहले अपने उत्पाद पर पूरा भरोसा और दृढ़ संकल्प होना सबसे ज़रूरी है।
इन्हीं खूबियों के चलते कंसाई नेरोलैक आज भारत की दूसरी सबसे बड़ी कोटिंग कंपनी होने के साथ-साथ इंडस्ट्रियल कोटिंग्स उद्योग में शीर्ष स्थान पर है।
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